सुप्रीम कोर्ट ने कहा हे कि सरकार या प्रशासन का कोई हक नहीं है कि वह किसी शख्स को दोषी ठहराए, यदि आप केवल आरोप के आधार पर सरकार किसी भी आरोपी जिसका अभी तक अपराध साबित नहीं हुआ और आप उसका घर तोड़ हे, तो यह कानून के शासन पर हमला हे|कोई भी सरकारी अधिकारी जज नहीं बन सकता और किसी भी व्यक्ति का घर नहीं तोड़ सकता हैं|
सुप्रीम कोर्ड ने जारी कि गाइडलाइंस Image source - Live Hindustan |
कोई व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई से घर बनाता हैं, सपने देखता हे उसकी कई आकांक्षाएं होती है |कई केस में जिसको सरकार आरोपी समझ कर बुलडोजर करवाई करती हैं|वो निर्दोष पाए जाते हे और उनका घर वे वजह तोड़ दिया जाता है| इस चीज को देखते हुए सरकार अपनी मनमानी नहीं कर सकती हे इसीलिए कुछ दिशानिर्देश दिय गए हैं, जिसको आपको जरूर पढ़ लेना चाहिए आपके काम में आएंगे|
सुप्रीम कोर्ट ने दिए दिशा निर्देश
- किसी भी ढांचे को ढहाने से 15 दिन पहले नोटिस जरूरी
- संबंधित संपति पर नोटिस चिपकना अनिवार्य
- शिकायत मिलने के बाद जिला कलेक्टर को सूचित करे
- तीन महीने के अंदर पोर्टल बनाए
- पोर्टल पर उपलब्ध कराए हर जानकारी
- अधिकारी संबंधित व्यक्ति की शिकायत सुने, रिकॉर्ड रखे
- संपति के मालिक के पास हो अदालत तक जाने का मौका
- नोटिस मिलने के 15 दिनों में अवैध ढांचा खुद गिराने का मौका मालिक को मिले
- संपति ढहाने से जुड़ी प्रकिया को भी वीडियोग्राफी
- संपति ढहाने में दिशानिर्देश नहीं माने गए तो अधिकारी जिम्मेदार, निजी खर्च से ढांचा दुबारा बनाना होगा
किसी भी दिशानिर्देश का उल्लंघन अपमान माना जाएगा संपति ढहाने की प्रक्रिया यदि इन निर्देश के अनुसार नहीं हुई तो अधिकारी की जिम्मेदारी मानी जाएगी और अधिकारी को ही अपने रुपए से घर बन बना पड़ेगा
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